कोरोना से ठीक हुए लोग कुछ माह में ही खो सकते हैं अपनी इम्यूनिटी, शोध में आया सामने

 कोरोना से ठीक हुए लोग कुछ माह में ही खो सकते हैं अपनी इम्यूनिटी, शोध में आया सामने

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। रोजाना हजारों नए संक्रमित मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि एक तरफ जहां लोग संक्रमित हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ लोग ठीक भी हो रहे हैं। इसी बीच हुए एक शोध के अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग इस कोरोना वायरस से ठीक हो चुके हैं, वे कुछ महीने बाद फिर से संक्रमित हो सकते हैं। शोध अध्ययन के अनुसार, संक्रमण से उबरने के कुछ महीने बाद वे अपनी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता खो सकते हैं।

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द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस शोध अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस से ठीक होने वाले मरीज कुछ महीने के अंदर संक्रमण से बचने की अपनी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता गंवा सकते हैं। इस शोध अध्ययन में विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकारें कोरोना महामारी से किस तरह निपटती हैं, इसके आधार पर चीजें प्रभावित होंगी।

इस तरह के इस पहले अध्ययन में, किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक टीम ने 90 से अधिक कोरोना वायरस मरीजों में एंटीबॉडी के स्तर की जांच की और इसके साथ ही उन्होंने समय के साथ इसमें आए बदलावों का भी अध्ययन किया। उन्होंने इन मरीजों का ब्लड टेस्ट भी किया।  

ब्लड टेस्ट के दौरान शोधकर्ताओं को केवल हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों में वायरस के प्रति कुछ हद तक इम्यून रिस्पॉन्स यानी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दिखी। इनमें से 60 फीसदी ने संक्रमण के बाद पहले कुछ हफ्तों में शक्तिशाली और असरदार वायरल प्रतिक्रिया दिखाई। वहीं, तीन महीने बाद केवल 16.7 फीसदी ने ही कोरोना वायरस को बेअसर करने वाले एंटीबॉडी के उच्च स्तर को बनाए रखा था।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, 90 दिनों के बाद कई पूर्व संक्रमितों के ब्लड में पता लगाने योग्य एंटीबॉडी (Antibodies) थी ही नहीं। इसी आधार पर शोधकर्ताओं का कहना था कि कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के कुछ महीने बाद मानव शरीर में प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो सकती है और उनके दोबारा संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज जब इस बीमारी से ठीक हो जाता है यानी जब उसके टेस्ट निगेटिव आने लगते हैं, तो भी करीब दो हफ्ते तक उसके शरीर में इस वायरस की मौजूदगी रह सकती है, जो अन्य व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक जब मानव शरीर किसी बाहरी खतरे या बीमारी का सामना करता है तो हमारा इम्यून सिस्टम, वायरस को ट्रैक करने और संक्रमण को खत्म करने के लिए जुट जाता है। इस प्रक्रिया में यह एंटीबॉडी के रूप में जाना जाने वाला प्रोटीन पैदा करता है जो कि इस वायरस से लड़ता है। जब तक शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी हैं, वह अपने अंदर प्रतिरक्षा तंत्र विकसित करते हुए संक्रमण से उबरने में सफल रहता है।

यह शोध अध्ययन बताता है कि प्रतिरोधक क्षमता को शरीर में स्वाभाविक रूप से मौजूद नहीं माना जा सकता है। शरीर की इम्यूनिटी इनफ्लुएंजा जैसे वायरस के चलते कुछ महीनों से अधिक नहीं रह सकती है। विशेषज्ञों ने कहा है कि उनके शोध अध्ययन के निष्कर्षों में बदलाव संभव हो सकता है।

 

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